बस आंखों से हल्का इशारा करो की बगल में बैठा इंसान समझ ना सके की हम दोनों के इरादे क्या है अकेले में मिलने का मौका मिले ना मिले इशारों में सारी बातें हो जाएगी
मेरे दिल की हकीकत से रूबरू होकर देखो सच्ची मोहब्बत हो जाएगी प्यार की तलाश में भटकते फिर रहे हो हर ख्वाहिश पूरी हो जाएगी हम यूं ही रुठे नहीं है उसकी गलतफहमी से ख्वाब टूटे हैं झूठ की दहलीज पर हकीकत का पर्दा यूं लग गया है मैं सफाई देने में नाकाम रह गया हूं शायद वह दर्द महसूस कर पाए आज भी खामोश रहकर इंसाफ चाहता हूं